स्वराज्य पूर्व सौराष्ट्र प्रदेश जो की काठियावाड के नाम से जाना जाता था । करीबन २०२ छोटेमोटे राज्य थे । उस जमाने में देशी राज्यो में प्रजा पर जो अन्याय हो रहे थे उसके सामने महात्मा गांधी प्रेरित सत्याग्रह साधन द्वारा आम प्रजाको संगठित करके, निर्भय बनाके अन्यायका प्रतिकार करनेका कार्यक्रम और छोटीमोटी प्रजाकिय लडतें गांधी विचारके कार्यकरो द्वारा खादी ग्रामोद्योग और रचनात्मक कार्यक्रमके माध्यमसे चलायी जाती थी ।
स्वराज्य प्राप्ति के पश्चात और महात्मा गांधी के निधन के बाद अहिंसक समाज रचनाकी दिशामें काम करनेके लिये लोक शक्ति का निर्माण और रचनात्मक कार्यक्रम का पूर्ण अमल यही पूर्ण स्वराज इस गांधी मंत्रको कार्यान्वित करनेकी सोच स्व. श्री नारायणभाई, स्व. नानाभाई भट्ट, स्व. श्री वजुभाई शाह, स्व. श्री मनुभाई पंचोली और स्व. श्री रतुभई अदाणी जैसे प्रतिष्ठित व दिग्गज रचनात्मक कार्यकरोमें थी । इस द्रष्टि से काठियावाड की रचनात्मक प्रवृतियोको संगठित करनेका निश्चय किया गया । इस आशयसे काठियावाड के रचनात्मक कार्यकर्ताओं का एक संमेलन स्व. श्री काकासाहब कालेलकरजी की अध्यक्षतामें ३ मई १९४८ को रखा गया । सौराष्ट्र में रचनात्मक प्रवृतियां कर रही सभी संस्थाओ और कार्यकर्ताओको एक सूत्रमें संगठित करनेके लिये सौराष्ट्र रचनात्मक समिति की स्थापना करनेका एलान किया गया । उसके मुताबिक दूसरे दिन राजकोट में स्व. श्री ढेबरभाई की अध्यक्षतामें हुई वरिष्ठ रचनात्मक कार्यकरोकी इस बेठक में सौराष्ट्र रचनात्मक समिति नामक पारिवारिक संगठन कि ४ मई १९४८ को स्थापना की गई ।
सौराष्ट्र रचनात्मक समिति की पारिवारिक भावना के फलस्वरूप विविध रचनात्मक कार्य करनेवाली पचास से अधिक मित्र और साथी संस्थाओके १५००से अधिक कार्यकर्ताओ द्वारा खादी-ग्रामोद्योग, नई तालीम, गौ-सेवा, कृषि विकास, सहकारी प्रवृति, हरिहन सेवा, भंगी कष्ट मुक्ति, राष्ट्रभाषा प्रचार, महिला जागृति, निसर्गोपचार, नशाबंधी-व्यसन मुक्ति इत्यादी बुनियादी मूल्योको ध्यानमें रखकर कार्य हो रहा हैं । इन संस्थाओमें से ज्यादातर संस्थाओकी स्थापनामें, निर्माण और विकासमें सौराष्ट्र रचनात्मक समिति का सहयोग और नैतिक पृष्ठबल मिला है । इसी के सहयोगसें फुलिफाली है ।
देशमें ग्रामाभिमूख शिक्षाकी विद्यापीठ तथा कृषि अनुसंधान और गौ-संवर्धन क्षेत्रमें आदर्श रूप काम करनेवाली लोक भारती संस्थाकी नीव समिति के आधारस्थंभ, प्रखर शिक्षाविद् स्व. श्री. नानाभाई भट्ट, और स्व. श्री मनुभाई पंचोलीने रखीथी । खादीग्रामोद्योग का कार्य करनेवाला काठियावाड खादी मंडल, चलाला, समग्र ग्रामसेवाकी प्रवृतियाँ करनेवाला ग्राम सेवा मंडल, सावरकुंडला और अनेक पारिवारक संस्थाये उत्तर बुनियादी विद्यालय चलाती है । जहां १५०० से अधिक विद्यार्थी भाई-बहन सर्जनात्मक शिक्षा पाकर नये क्षेत्रोमें संस्कृतिके नये दीप जलाते है । लोक भारती संस्थाके कृषि विभागने संशोधन क्षेत्रमें अगवाई की है । लोक भारतीके श्री जवरभाई पटेल के संशोधन प्रयत्न से लोक वन नामक गेहूंका उत्तम बीह संशोधित किया गया । जो आज सिर्फ सौराष्ट्र-गुजरात के किसानोमें नहीं बल्की समग्र देशके किसानोमें प्रचलित हुआ है । लोक भारतीकी गौशालामें गौवंश सुधाराणाका कार्य व्यापक रूपमें हो रहा है । सौराष्ट्र सूखा प्रदेश है । पीनेके पानीकी बडी समस्यां है । तब खेतीके लीये पानीकी बात कहां करना? समितिकी पारिवारिक संस्थओ की ओर से भारत सरकार पुरस्कृत जलस्त्राव योजनाको इस प्रदेशमें कार्यान्वित करके पानीकी मूलतः समस्या हल करनेका प्रयास कीया गया । इस प्रकार लोकाभिमुख कार्यक्रम करके समितिकी पारिवारिक संस्थायें समितिके नभ मंडलमें दैदीप्यमान तारककी भ्रांती प्रकाशीत हो रही हैं ।
सौराष्ट्र रचनात्मक समितिकी स्थापना पूर्व यहाँ-वहाँ छोटी-मोटी संस्थाओमे खादी ग्रामोद्योगकी उत्पादन-बिक्री अल्प मात्रामें होती थी । समितिकी स्थापना के बाद समिति और संस्थाओके सहयोगसे नये क्षेत्रमें नयी संस्थायें बनी उसमें व्यपकरूपमें खादी ग्रामोद्योगके कामका विकास हुआ ।
सौराष्ट्र के इस छोटे क्षेत्रमें सौराष्ट्र रचनात्मक समिति और उनके पारिवारिक संगठन के सहारे खादी ग्रामोद्योग, नई तालिम, कृषि-गौ सेवा जैसे रचनात्मक कार्यों द्वारा समाज नव निर्माणक कार्य हुआ है इससे प्रजामें नई जागृति पैदा हुई है । इस चेतना और जागरूक्ताका रचनात्मक अभिगमसें उपयोग करतें रहे और समाज परिवर्तनक कार्य विधायक तौर पर चलें और उसमें जीतनी कमी है वह जल्दही पूरी हो जाय अैसी अभिलाषा व्यक्त करतें हैं ।
आज सौराष्ट्र रचनात्मक समितिके प्रमुख मु.श्री जयाबहन शाह व अध्यक्ष श्री देवेन्द्रकुमार र. देसाइ, मंत्री श्री हर्षदभाई त्रिवेदी और श्री वल्लभभाई लाखानी एवं सहमंत्री श्री कानजीभाई पटेल और श्री हिमंतभाई गोडा कार्यरत हैं ।